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Thursday 22 September 2011

दिल हुआ है ख्वाहिशों की एक किताब ,
बढ़  रहे है  बरक़  जिसके  बेहिसाब .
कर सकूँ  महसूस  तुझको  जिंदगी,
हाथों में हो हाथ   मेरा इतना ख्वाब.
बात दिल की आज कह दूँ साकी तुझसे,
अब पिला आँखों से बस अपनी शराब.
तेरे  सदके  में   मिटा  मेरा  वजूद,
मै  हुआ  जर्रा  हुई  तू   माहताब.

8 comments:

  1. बहुत बढ़िया.. मतला तो लाजवाब है!

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  3. तेरे सदके में मिटा मेरा वजूद।
    मैं हुआ ज़रा और तू हुई महताब
    वाह!!! बहुत खूब आपकी रचना का तो शीर्षक की बहुत रोचक है
    समय मिले कभी तो आइये गा मेरी पोस्ट पर आपका स्वागत है
    http://mhare-anubhav.blogspot.com/

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  4. आप सभी का बहुत बहुत धन्यवाद्

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  5. जल्दी-जल्दी लगाया करो।

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