दिल हुआ है ख्वाहिशों की एक किताब ,
बढ़ रहे है बरक़ जिसके बेहिसाब .
कर सकूँ महसूस तुझको जिंदगी,
हाथों में हो हाथ मेरा इतना ख्वाब.
बात दिल की आज कह दूँ साकी तुझसे,
अब पिला आँखों से बस अपनी शराब.
तेरे सदके में मिटा मेरा वजूद,
मै हुआ जर्रा हुई तू माहताब.
waah ,bahut sundar
ReplyDeleteबहुत बढ़िया.. मतला तो लाजवाब है!
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ReplyDeleteतेरे सदके में मिटा मेरा वजूद।
ReplyDeleteमैं हुआ ज़रा और तू हुई महताब
वाह!!! बहुत खूब आपकी रचना का तो शीर्षक की बहुत रोचक है
समय मिले कभी तो आइये गा मेरी पोस्ट पर आपका स्वागत है
http://mhare-anubhav.blogspot.com/
Behtreen Panktiyan....
ReplyDeleteआप सभी का बहुत बहुत धन्यवाद्
ReplyDeleteजल्दी-जल्दी लगाया करो।
ReplyDeleteबेहतरीन।
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