दिल हुआ है ख्वाहिशों की एक किताब ,
बढ़ रहे है बरक़ जिसके बेहिसाब .
कर सकूँ महसूस तुझको जिंदगी,
हाथों में हो हाथ मेरा इतना ख्वाब.
बात दिल की आज कह दूँ साकी तुझसे,
अब पिला आँखों से बस अपनी शराब.
तेरे सदके में मिटा मेरा वजूद,
मै हुआ जर्रा हुई तू माहताब.
अच्छी ख़्वाहिश, अच्छी रचना और लिखते रहिए
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ReplyDeletewah, kya bat hai... :)
ReplyDeleteवाह हरीश जी - बहुत खूब - वाह वाह
ReplyDeleteबहुत सुन्दर अभिव्यक्ति....
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